खाटूश्याम भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर जिले का एक महत्वपूर्ण कस्बा है। यह खाटूश्याम जी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है । यह शेखावाटी के नाम से जाना जाता है, यह प्राकृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। सीकर, श्रीमाधोपुर, नीम का थाना , फतेहपुर शेखावाटी जिले के सबसे बड़े शहर व तहसील है। यहां पर तरह- तरह के प्राकृतिक रंग देखने को मिलते हैं सीकर जिले को "वीरभान" ने बसाया और "वीरभान का बास" सीकर का पुराना नाम दिया। राजा माधोसिंह जी ने वर्तमान स्वरूप प्रदान किया और सीकर नाम दिया। इन्होंने छल करके "कासली" गांव के राजा से गणेश जी की मूर्ति जीती, ये मूर्ति कासली के राजा को एक़ सन्त द्वारा भेंट की गई थी, इस मूर्ति की प्राप्ति के बाद कासली गांव "अविजय" था, कई बार सीकर के राजा ने कासली को जीतने का प्रयास किया लेकिन असफल रहा । बाद में गुप्तचरों के जरिये जब इसके बारे में सूचना हासिल हुई तो आपने एक विश्वसनीय सैनिक को साधु का भेष धराकर कासली भेजा और छल से ये मूर्ति हासिल की तथा अगली सुबह कासली पर आक्रमण कर विजय हासिल की। छल से मूर्ति प्राप्त करने और विजय हासिल करने के बाद सीकर राजा ने महल के सामने गणेश जी का मंदिर भी बनवाया जो कि आज भी सुभाष चौक में स्थित है। राजा ने गोपीनाथ जी का मंदिर भी बनवाया था। सीकर की रामलीला बहुत ही प्रसिद्ध है। पूरे शेखावाटी में इस रामलीला मंचन को भी राजा ने शुरू करवाया था। आज भी हर वर्ष इस रामलीला का आयोजन किया जाता है।
श्री श्याम मंदिर की स्थापना शिलालेख के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला 3 संवत 1777 के दिन रखी गई, फाल्गुन शुक्ला 7 संवत 1777 को श्री श्याम जी सिंहासन में विराजमान हुए।
महाभारत काल में लगभग साढ़े पांच हज़ार वर्ष पहले एक महान आत्मा का अवतरण हुआ जिसे हम भीम पौत्र बर्बरीक के नाम से जानते हैं महीसागर संगम स्थित गुप्त क्षेत्र में नवदुर्गाओं की सात्विक और निष्काम तपस्या कर बर्बरीक ने दिव्य बल और तीन तीर व धनुष प्राप्त किए।
कुछ वर्ष उपरांत कुरुक्षेत्र में उपलब्ध नामक स्थान पर युद्ध के लिए कौरव और पांडवों की सेनाएं एकत्रित हुई। युद्ध का शंखनाद होने ही वाला था कि यह वृतांत बर्बरीक को ज्ञात हुआ और उन्होंने माता का आशीर्वाद ले युद्धभूमि की तरफ प्रस्थान किया। उनका इरादा था कि युद्ध में जो भी हारेगा उसकी सहायता करूंगा। भगवान श्री कृष्ण को जब यह वृतांत ज्ञात हुआ तो उन्होंने सोचा कि ऐसी स्थिति में युद्ध कभी समाप्त नहीं होने वाला। अतः उन्होंने ब्राह्मण का वेश धारण कर बर्बरीक का मार्ग रोककर उनसे पूछा कि आप कहां प्रस्थान कर रहे हैं। बर्बरीक ने अपना ध्येय बताया कि वह कुरुक्षेत्र जाकर अपना कर्तव्य निर्वाह करेंगे और इस पर ब्राह्मण रूप में श्री कृष्ण ने उन्हें अपना कौशल दिखाने को कहा। बर्बरीक ने एक ही तीर से पेड़ के सभी पत्तों को भेद दिया सिवाय एक पत्ते के जो श्री कृष्ण ने अपने पैरों के नीचे दबा दिया था। बर्बरीक ने ब्राह्मण रूपी श्री कृष्ण से प्रार्थना की कि वह अपना पैर पत्ते के ऊपर से हटाए वरन् आपका पैर घायल हो सकता है। श्री कृष्ण ने अपना पैर हटा लिया व बर्बरीक से एक वरदान मांगा। बर्बरीक ने कहा हे यजमान आप जो चाहे मांग सकते हैं मैं वचन का पूर्ण पालन करूंगा। ब्राह्मण रूपी श्री कृष्ण ने शीश दान मांगा। यह सुनकर बर्बरीक तनिक भी विचलित नहीं हुए परंतु उन्होंने श्रीकृष्ण को अपने वास्तविक रूप में दर्शन देने की बात की क्योंकि कोई भी साधारण व्यक्ति यह दान नहीं मांग सकता। तब श्रीकृष्ण अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए। उन्होंने महाबली, त्यागी, तपस्वी वीर बर्बरीक का मस्तक रणचंडिका को भेंट करने के लिए मांगा और साथ ही वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे नाम से जाने जाओगे। मेरी ही शक्ति तुम में निहित होगी। देवगण तुम्हारे मस्तक की पूजा करेंगे जब तक यह पृथ्वी, नक्षत्र, चंद्रमा तथा सूर्य रहेंगे तब तक तुम, लोगों के द्वारा मेरे श्री श्याम रूप में पूजनीय रहोगे। मस्तक को अमृत से सींचाऔर अजर अमर कर दिया। मस्तक ने संपूर्ण महाभारत का युद्ध देखा एवं युद्ध के निर्णायक भी रहे। युद्ध के बाद महाबली बर्बरीक कृष्ण से आशीर्वाद लेकर अंतर्ध्यान हो गए।
बहुत समय बाद कलयुग का प्रसार बढ़ते ही भगवान श्याम के वरदान से भक्तों का उद्धार करने के लिए वह खाटू में चमत्कारी रूप से प्रकट हुए। एक गाय घर जाते समय रास्ते में एक स्थान पर खड़ी होकर चारों थनों से दूध की धाराएं बहाती थी। जब ग्वाले ने यह दृश्य देखा तो सारा वृत्तांत भक्त नरेश (खंडेला के राजा) को सुनाया। राजा भगवान का स्मरण कर भाव विभोर हो गया। स्वप्न में भगवान श्री श्याम देव ने प्रकट होकर कहा मैं श्यामदेव हूं जिस स्थान पर गाय के थन से दूध निकलता है, वहां मेरा शालिग्राम शिलारूप विग्रह है, खुदाई करके विधि विधान से प्रतिष्ठित करवा दो। मेरे इस शिला विग्रह को पूजने जो खाटू आएंगे, उनका सब प्रकार से कल्याण होगा। खुदाई से प्राप्त शिलारूप विग्रह को विधिवत शास्त्रों के अनुसार प्रतिष्ठित कराया गया।
चौहान राजपूतों में नर्बदार कंवर हुई है जिन्होंने इस विग्रह को आतताईयों के विध्वंस से बचाने हेतु झोपड़े में रखा एवं सेवा पूजा की। औरंगजेब के शासनकाल में पुराने मंदिर का विध्वंस हो गया तथा उसके बाद जहां भगवान श्री श्याम देव का विग्रह प्रतिष्ठित किया गया वह आज भी विद्यमान है जहां देश के सभी कोनों से श्याम प्रेमी पूजा अर्चना एवं दर्शनार्थ आते हैं। अब नर्मदा कंवर के खानदान के ही चौहान राजपूत पुजारी हैं। जय श्री श्याम
ग्रीष्म समय तालिका |
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मंदिर खुलना | सुबह 4:30 |
मंदिर बंद | दोपहर 12:30 |
मंदिर खुलना | शाम 4:00 |
मंदिर बंद | रात्रि 10:00 |
शीतकालीन समय तालिका |
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मंदिर खुलना | सुबह 5:30 |
मंदिर बंद | दोपहर 01:00 |
मंदिर खुलना | शाम 5:00 |
मंदिर बंद | रात्रि 9:00 |
विशेष: हर ग्यारस पर खाटू श्याम जी मंदिर 24 घंटे खुला रहता है |
खाटू श्याम जी मंगला आरती : | समय : सुबह 04.45- 05.45 खाटू मंदिर के खुलते ही मंगला आरती श्री श्याम बाबा की होती है | |
खाटू श्याम जी श्रृंगार आरती : | समय : सुबह 07:00-08:00 बाबा श्याम का फूलो से श्रृंगार किया जाता है उन्हें आभूषण पहनाये जाते है और यह आरती की जाती है |
खाटू श्याम जी भोग आरती : | समय : दोपहर 12:15 से 12:30 तक श्याम बाबा को भोग लगाया जाता है और आरती की जाती है |
खाटू श्याम जी संध्या आरती : | समय : संध्या 06:00-07:15 बाबा श्याम की यह आरती सूर्य अस्त पर संध्या के समय की जाती है |
खाटू श्याम जी शयन आरती : | समय : रात्रि 09 :00-10:00 बाबा श्याम की यह आरती सूर्य अस्त पर संध्या के समय की जाती है खाटू श्याम जी की शयन आरती के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है | |
हिंदू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। इन दोनो प्रकार की एकादशियों का भारतीय सनातन संप्रदाय में बहुत महत्त्व है।
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ज्ञात है कि वैसे तो प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं लेकिन जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। भारत में कई जगह इस तिथि को 'पद्मनाभा' भी कहते हैं। माना जाता है कि सूर्य के मिथुन राशि में आने पर यह एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है। इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर लगभग चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर उन्हें उठाया जाता है। उस दिन को देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है। इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा गया है।
वैष्णव मत के अनुचर श्री विष्णु भगवान को पूजते है और उन्ही के रूप श्री कृष्ण की पूजा करते है | भगवान विष्णु के पूजन का सबसे मुख्य दिन एकादशी को माना जाता है | भगवान खाटू श्याम कृष्ण के वरदान के कारण ही पूजे जाते है इसलिए भी इनका मुख्य दिवस ग्यारस मानी गयी है |
हिंदू पंचांग की बारहवीं तिथि को द्वादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली द्वादशी को कृष्ण पक्ष की द्वादशी और अमावस्या के बाद आने वाली द्वादशी को शुक्ल पक्ष की द्वादशी कहते हैं।
यूं तो हर तिथि का अपना महत्व है पर इनमें द्वादशी तिथि का कुछ अलग ही स्थान है। शास्त्रों में इस तिथि का धार्मिक नजरिए से अत्यधिक महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर श्रीकृष्ण की उपासना से सभी मनोरथ पूरे होते हैं। वैसे द्वादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन उनके ही अवतार श्री कृष्ण का व्रत फलदाई होता है।
यह कहा जाता है की श्याम बाबा ने अपना शीश का दान फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को दिया था और फिर महाभारत के युद्ध को देखने के लिए न्यायधीश बने | इस महाबलिदान के कारण ही इस दिन बाबा श्याम की ज्योत लेकर उन्हें चूरमे, खीर का भोग लगाया जाता है |
प्रत्येक वर्ष फाल्गुन एकादशी (बलिदान दिवस)- फरवरी/ मार्च को विशाल मेला लगता है। यह मेला बाबा खाटू श्याम जी का मुख्य महोत्सव है। यह मेला अष्टमी से द्वादश तक लगभग 5 दिनों के लिए आयोजित किया जाता था । भक्तों की भीड़ को ध्यान में रखते हुए इसकी अवधि बढ़ाकर लगभग 9 से 10 दिन कर दी गई है। लाखों भक्त दुनिया के कोने कोने से मेले में श्याम बाबा के दर्शन करने अपने परिवार और मित्रों के साथ आते हैं।देशभर से श्याम भजन गायक भी आते हैं । वह हर धर्मशाला में संध्या समय श्याम बाबा की ज्योत जगा कर सत्संग कीर्तन करते हैं।
इस मेले में निशान यात्रा का भी बहुत बड़ा महत्व है। निशान यात्रा एक तरह की पदयात्रा होती है जिसमे भक्त हाथो में श्याम ध्वज ( निशान) हाथ में उठाकर श्याम बाबा को चढाने खाटू श्याम जी मंदिर तक जाते है | मुख्यत यह यात्रा रींगस से खाटू श्याम जी तक की जाती है जो १८ किमी की यात्रा है | भक्त अपनी श्रद्दा से इसे जयपुर , दिल्ली कोलकाता और अपने घर से भी शुरू कर देते है | माना जाता है कि पैदल निशान यात्रा करके निशान श्याम बाबा को चढाने से श्याम बाबा शीघ्र ही प्रसन्न होकर आपकी मनोकामना को पूर्ण करते है |
श्याम बाबा के महाबलिदान शीश दान के लिए उन्हें निशान चढ़ाया जाता है | यह उनकी विजय का प्रतीक है जिसमे उन्होंने धर्म की जीत के लिए दान में अपना शीश ही भगवान श्री कृष्ण को दे दिया था |
निशान मुख्यत : केसरी नीला, सफ़ेद, लाल रंग का झंडा होता है | इन निशानों पर श्याम बाबा और कृष्ण भगवान के जयकारे और दर्शन के फोटो होते है | कुछ निशानों पर नारियल और मोरपंखी भी लगी होती है | इसके सिरे पर एक रस्सी बंधी होती है जिससे यह निशान हवा में लहराता है | आजकल कई भक्त सोने और चांदी के भी निशान श्याम बाबा को अर्पित करते है |
फाल्गुन एकादशी के दिन, दिन में 11:00 बजे रथयात्रा विधि विधान से पूजनादि के बाद प्रारंभ होती है। रथ में श्री श्याम प्रभु की प्रतिमा (जो रथ यात्रियों के लिए बनी है) नीले घोड़े की सवारी पर विराजमान होती है। चौहान राजपूत (सेवक परिवार) जो कि पुजारी हैं, रथ की मंदिर के सामने आरती करते हैं और रथ में आसन ग्रहण करते हैं । चंवर ढुलाते हैं। दर्शनार्थियों को अपने कर कमलों से प्रसाद देते हैं एवं मोर छड़ी से श्रद्धालुओं को श्री श्याम प्रभु का आशीर्वाद देते हैं। प्रसाद व आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। शोभा यात्रा की छवि देखने लायक होती है। स्थानीय ग्राम के नर नारी रथ के दर्शन कर भोजन करते हैं। यह रथ यात्रा मंदिर प्रांगण से प्रारंभ होकर श्याम कुंड जाती है। कुंड के जल से अभिषेक होता है जहां से श्री श्याम प्रभु का चमत्कारी विग्रह प्राप्त हुआ था। इसके पश्चात रथ यात्रा गणेश दास जी मंदिर के चौराहे से रेवाड़ी धर्मशाला, हॉस्पिटल के पास से पंचायती धर्मशाला होते हुए बाजार की तरफ आती है। मेला संपन्न होने तक रथ की शोभा यात्रा को मुख्य बाजार में दर्शनार्थ रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मेले में आने वाले श्याम भक्तों को देखने व खाटू वासी भक्तों की सुध लेने स्वयं श्याम बाबा साल में एक बार मंदिर से बाहर निकलकर रथ के माध्यम से मेले का भ्रमण करते हैं व श्रद्धालु घरों की छतों पर वह बाहर खड़े होकर बाबा का स्वागत व अभिनंदन करते हैं ।
द्वादशी के दिन शाम को पुनः रथ को रथघर में विराजमान करते हैं। शोभायात्रा श्रद्धा, भक्ति, उत्साह व उमंग से निकलती है इस महोत्सव में 15 से 20000 यात्री एक साथ चलते हैं तथा बीच-बीच में नवीन यात्री प्रवेश करते रहते हैं वह दर्शनों के बाद यात्री निकलते रहते हैं। यह बहुत ही धार्मिक दृश्य होता है।
खाटू श्याम जी मंदिर में कार्तिक शुक्ल एकादशी की की श्याम बाबा के शीश को दर्शनार्थ सुशोभित किया गया था | इसी कारण इस दिन श्याम बाबा का जन्मदिवस भी मनाया जाता है |
इन सभी कार्यों को करने के लिए पहले मंदिर प्रबंधन से आज्ञा ली जाती ह। इन कार्यों को मूर्त रूप देने के लिए मंदिर प्रबंधन से संपर्क किया जा सकता है।
इस मेले में निशान यात्रा का भी बहुत बड़ा महत्व है। निशान यात्रा एक तरह की पदयात्रा होती है जिसमे भक्त हाथो में श्याम ध्वज ( निशान) हाथ में उठाकर श्याम बाबा को चढाने खाटू श्याम जी मंदिर तक जाते है | मुख्यत यह यात्रा रींगस से खाटू श्याम जी तक की जाती है जो १८ किमी की यात्रा है | भक्त अपनी श्रद्दा से इसे जयपुर , दिल्ली कोलकाता और अपने घर से भी शुरू कर देते है | माना जाता है कि पैदल निशान यात्रा करके निशान श्याम बाबा को चढाने से श्याम बाबा शीघ्र ही प्रसन्न होकर आपकी मनोकामना को पूर्ण करते है |
श्याम बाबा के महाबलिदान शीश दान के लिए उन्हें निशान चढ़ाया जाता है | यह उनकी विजय का प्रतीक है जिसमे उन्होंने धर्म की जीत के लिए दान में अपना शीश ही भगवान श्री कृष्ण को दे दिया था |
निशान मुख्यत : केसरी नीला, सफ़ेद, लाल रंग का झंडा होता है | इन निशानों पर श्याम बाबा और कृष्ण भगवान के जयकारे और दर्शन के फोटो होते है | कुछ निशानों पर नारियल और मोरपंखी भी लगी होती है | इसके सिरे पर एक रस्सी बंधी होती है जिससे यह निशान हवा में लहराता है | आजकल कई भक्त सोने और चांदी के भी निशान श्याम बाबा को अर्पित करते है |
New Delhi |
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Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
SG2248 | 20:00 | 20:55 | 1,2,3,4,5,6 |
SG2637 | 11:10 | 12:30 | Daily |
9W756 | 21:15 | 22:20 | Daily |
9W855 | 22:40 | 00:05 | Daily |
6E-3813 | 19:35 | 20:45 | Daily |
6E-6606 | 06:00 | 06:55 | Daily |
AI-0492 | 13:30 | 14:25 | Daily |
9I-0644 | 20:30 | 21:15 | Daily |
Kolkata |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
I5-0587 | 22:45 | 00:45 | Daily |
G8-702 | 18:55 | 21:15 | Daily |
6.00E-207 | 07:50 | 10:00 | Daily |
6.00E-237 | 21:25 | 23:50 | Daily |
6.00E-175 | 22:30 | 00:30 | Daily |
Chennai |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
6E-0442 | 20:05 | 22:50 | Daily |
6E-736 | 22:20 | 01:00 | Daily |
Mumbai |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
AI-0612 | 13:55 | 15:35 | Daily |
G8-388 | 08:10 | 09:50 | Daily |
G8-492 | 15:55 | 17:35 | Daily |
6.00E-218 | 05:10 | 07:00 | Daily |
6E-965 | 09:10 | 11:15 | Daily |
6E-394 | 18:35 | 20:30 | Daily |
9W-7046 | 08:20 | 10:20 | Daily |
9W-7119 | 20:55 | 22:50 | Daily |
SG-2683 | 05:45 | 08:50 | Daily |
Ahmedabad |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
G8-701 | 08:50 | 10:15 | Daily |
6E-238 | 08:00 | 09:25 | Daily |
Jaisalmer |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
SG-2981 | 10:25 | 11:50 | Daily |
Udaipur |
|
Days |
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Flight | Departure | Arrival | |
SG-2623 | 07:25 | 08:20 | Daily |
SG-2982 | 18:40 | 19:50 | Daily |
Varanasi |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
SG-2985 | 06:15 | 07:55 | Daily |
Hyderabad |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
I5-1543 | 11:45 | 13:45 | Daily |
G8-701 | 08:50 | 11:10 | 7 |
6E-6151 | 06:05 | 08:05 | Daily |
SG-842 | 15:25 | 17:20 | Daily |
Ahmedabad |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
G8-701 | 08:50 | 10:15 | Daily |
6.00E-238 | 08:00 | 09:25 | Daily |
Varanasi |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
SG-2985 | 06:15 | 07:55 | Daily |
Bangalore |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
I5-1721 | 09:15 | 11:50 | Daily |
I5-1729 | 19:50 | 22:40 | Daily |
6.00E-169 | 04:00 | 06:30 | Daily |
6E-642 | 09:00 | 11:35 | Daily |
6E-556 | 20:15 | 22:45 | Daily |
Dehradun |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
9I-0691 | 05:55 | 09:30 | Daily |
Guwahati |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
SG-841 | 06:55 | 09:25 | Daily |
Hyderabad |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
I5-1543 | 11:45 | 13:45 | Daily |
G8-701 | 08:50 | 11:10 | 7 |
6E-6151 | 06:05 | 08:05 | Daily |
SG-842 | 15:25 | 17:20 | Daily |
Pune |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
9I-0691 | 05:55 | 07:30 | Daily |
Surat |
|
Days |
|
Flight | Departure | Arrival | |
SG-2683 | 05:45 | 07:30 | Daily |
Train No. | Days | From | To | Arr. | Dep. |
---|---|---|---|---|---|
22452 | Wed, Sat | DEC | RGS | 13.50 | 10.00 |
12066 | Fri, Sat | NZM | RGS | 19.48 | 15.10 |
12981 | Daily | DEE | RGS | 23.15 | 19.40 |
खाटू श्याम मंदिर से निकटतम रेलवे स्टेशन रिंगास जंक्शन है। केवल यात्री ट्रेन जयपुर से रिंगास रेलवे स्टेशन तक जाती है। जयपुर से लगभग 8 ट्रेनें हैं, जो जयपुर रेल्वे स्टेशन से 4.40 AM, 6.05 AM, 7.45 AM, 10.10 AM, 13.30, 16.55, 18.50 और 20.15 पर प्रस्थान करती है। ट्रेन के सफर में लगभग डेढ़ घंटा लगता है और ट्रेनें ज्यादातर समय पर उपलब्ध होती हैं।
जयपुर के लिए ट्रेन
Train No. | Days | From | To | Arr. | Dep. |
182 188 193 195 199 201 2181 2414 2467 2955 2966 2967 2969 2973 2975 2977 2979 2985 2988 2993 8473 9707 9772 9782 |
Daily Daily Daily Daily Daily Daily Daily Daily Daily Daily Daily 2,4 7 7,2 1,6 2 3,5,7 6 Daily 1,3,6 5 Daily 1,4 3,5 |
Hissar Hissar Kota Bayana Junction Sog Ajmer Jabalpur Jammutavi Bikaner Mumbai Central Udaipur City Chenni Central Coimbatore Indore Mysore Ernakulum Bandra Terminal Sealdah Gwalior Bandra Terminal Puri Bandra Terminal Amritsar Via Bhatinda Amritsar Via Jakhal |
Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Gwalior Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur Jaipur |
9.15 23.00 4.00 20.15 22.20 21.55 12.30 9.45 11.40 12.55 6.00 5.55 5.55 8.25 5.55 14.05 10.40 23.30 22.20 6.40 5.55 18.45 8.10 8.10 |
- - - - - - - 10.10 - - 6.10 - - - - - - - - - 6.30 - - - |
बाइपास ट्रेनें (जयपुर)
Train No. | Days | From | To | Arr. | Dep. |
491 492 2015 2016 2307 2308 2315 2316 2395 2396 2461 2462 2463 2464 2465 2466 2915 2916 2957 2958 4059 4060 4311 4312 4321 4322 4853 4854 4863 4864 5269 5270 5631 5632 5715 5716 8631 8632 8474 9105 9106 9263 9264 9265 9266 9269 9270 POW POW |
Daily Daily Except 3 Except 3 Daily Daily 5 1 4 5 Daily Daily 3,5,7 2/3,4/5,6/7 Daily Daily Daily Daily Excl.2 Excl.3 Daily Daily 2,4,5,6 1,2,5,7 1,3,7 3,4,6 2,4,7 1,4,6 1,3,5,6 2,3,5,7 5 1 1,3 5,7 1,3,6 1,2,4 6 6 6 Daily Daily 3,7 1,4 6 7 6 2 4 6,7 |
Bhopal Jodhpur New Delhi Ajmer Howrah Jodhpur/ Bikaner Sealdah Udaipur City Rajender Nagar Bihar Ajmer Delhi Jodhpur Delhi Sarai Rohilla Jodhpur/ Bikaner Indore Jodhpur Ahamdabad Junction Delhi Ahmedabad JN New Delhi Delhi Jaisalmer/ Barmer Barelly New Bhuj Barelly New Bhuj Varanasi Via Faizabad Jodhpur Varanasi Via Sultanpur Jodhpur Muzaffarpur Ahamdabad Junction Bikaner/ Barmer Gawhati Kishanganj Ajmer Raanchi Ajmer Jodhpur Ahamdabad Junction Haridwar Porbandar Delhi Sarai Rohilla Okha Dehradun Porbandar Motihari Delhi Cant Jodhpur |
Jodhpur Bhopal Ajmer New Delhi Jodhpur/ Bikaner Howrah Udaipur City Sealdah Ajmer Rajender Nagar Jodhpur Delhi Jodhpur/ Bikaner Delhi Sarai Rohilla Jodhpur Indore Delhi Ahmedabad JN New Delhi Ahmedabad JN Jaisalmer/ Barmer Delhi New Bhuj Barelly New Bhuj Barelly Jodhpur Varanasi via Faizabad Jodhpur Varanasi via Sultanpur Ahamdabad Muzaffarpur Gawhati Bikaner/ Barmer Ajmer Kishanganj Ajmer Raanchi Puri Haridwar Ahamdabad Delhi Sarai Rohilla Porbandar Dehradun Okha Motihari Porbandar Gandahinagar COR |
9.45 17.10 10.45 17.35 0.00 1.40 18.30 8.35 13.25 2.10 2.25 0.40 13.55 23.50 17.20 10.47 4.20 20.25 2.25 0.40 23.45 4.50 17.40 7.55 11.30 15.30 11.30 15.30 11.30 15.30 20.55 4.00 8.20 23.30 19.15 13.45 21.10 22.45 19.10 22.45 4.30 13.45 13.55 4.00 19.15 13.45 19.55 3.15 23.35 |
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होटल का नाम | कुल कमरों की संख्या | संपर्क करें | पता |
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कशी धाम बनारस बालो की | 0 | 9828630355 |
पेट्रोल पंप के पास |
गुरुधाम | 0 | 01576231372 |
पेट्रोल पंप के पश्चिम में |
श्री श्याम मातृ छाया ट्रस्ट पिलानी | 0 | 9351382170 |
हनुमानपुरा रोड |
दिल्ली के श्याम बिश्राम भवन | 0 | 7733439594 |
लामिया रोड पर |
नारनोल श्री श्याम सबक भक्त मंडल | 0 | 9929272624 |
गोकुल धाम के डखिण में |
सुखधाम चैरिटेबल ट्रस्ट | 0 | 9929623237 |
रींगस रोड |
कर्णबाति भवन श्री सेबा ट्रस्ट अहमदाबाद | 0 | 9929623237 |
रींगस रोड |
श्री श्याम सेबा समिति आदिगौड़ ब्राह्मण समाज समिति | 0 | 8003121357 |
मटीयाब्रुज ज के पास |
श्री श्याम चरण सेबा ट्रस्ट | 0 | 9929161437 |
रींगस रोड |
श्री खाटूश्याम अतिथि निबास दिल्ली | 0 | 9950977400 |
रींगस रोड |
श्याम कुंड की महिमा- श्री श्याम कुंड से श्याम प्रभु का चमत्कारी विग्रह प्राप्त हुआ। इसके निर्मल जल में स्नान करके लाखों भक्त अपने संचित क्रियमाण कार्यों के बंधन से बच जाते हैं। ईहलोक व परलोक भी सुधार लेते हैं। सत्य आचरण करने वाले का तुरंत लाभ होता है
श्याम भक्तों के लिए खाटू धाम में श्याम बाग आस्था का एक बड़ा केंद्र है श्याम बगीची में प्राकृतिक वातावरण के बीच आस्था के विभिन्न रंगों की अनुभूति होती है। यहां परम भक्त आलू सिंह की समाधि भी बनाई हुई है। कहा जाता है कि इस बगीची के फूलों से श्याम बाबा का नित्य श्रृंगार किया जाता था।
आरंभ से ही इस मंदिर के पुजारी चौहान राजपूत रहे हैं इन्हें सेवक परिवार भी कहते हैं। मूर्ति मंदिर की चल एवं अचल संपत्ति की देखभाल सेवक परिवार ही करते हैं। सेवा पूजा का वरदान इन्हें ही प्राप्त है। सेवक परिवार के सदस्यों ने मिलकर सन् 1986 में मूर्ति मंदिर श्री श्याम की समस्त व्यवस्था, सेवा पूजा, श्रृंगार एवं चल अचल संपत्ति की देखभाल करने के लिए 1986 में वंशानुगत एक ट्रस्ट का गठन किया जिसे श्री श्याम मंदिर कमेटी (रजि.)नाम दिया गया एवं कमेटी (ट्रस्ट) ने अपना विधान बनाकर देवस्थान में रजिस्ट्रेशन करवा रखा है। वर्तमान में ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री शंभू सिंह जी चौहान, मंत्री श्री श्याम सिंह जी चौहान, कोषाध्यक्ष श्री कालू सिंह जी हैं .
इस कोरोना काल में जहां हम सभी सुरक्षा को लेकर बेहद सजग हैं वही अपनी मान्यताओं एवं रीति-रिवाजों के लिए बेहद भावुक हैं। खाटू श्याम जी के दर्शन दिसंबर माह से खोले जा चुके हैं जिसके लिए पहले से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है जो कि दर्शन करने के लिए अनिवार्य है। सभी सुरक्षित रहे सजग रहें इसलिए मंदिर कमेटी के कुछ दिशानिर्देश हैं जो इस प्रकार हैं:
सभी श्याम भक्तों से अनुरोध है कि इस महामारी के समय में मंदिर कमिटी, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन का सहयोग करें।
वर्तमान समय में 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों, 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए हालात सामान्य होने तक दर्शन बुकिंग नहीं रखी गई है । कृपया सहयोग करें। धन्यवाद।
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